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Class 6 मल्हार (Hindi) NCERT Solution Chapter Wise PDF

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Class 6 मल्हार (Hindi) NCERT Solution Chapter Wise PDF

मल्हार (Hindi) NCERT Solution

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मातृभूमि

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गोल

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पहली बूँद

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हार की जीत

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रहीम के दोहे*

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मेरी मा

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जलाते चलो

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सत्रिया और बिहू नृत्य

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मैया मैं नहिं माखन खायो

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परीक्षा

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चेतक की वीरता

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हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान

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पेड़ की बात

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Overview of Class 6 Hindi (मल्हार) NCERT Solution Chapter Wise 

We provide chapter wise Class 6 Hindi (मल्हार) NCERT Solution that helps students to understand concepts easily.  

Chapter 1: मातृभूमि

यह कविता मातृभूमि यानी अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाती है। कवि ने मातृभूमि को जीवन का आधार और प्रेरणा बताया है। इसमें यह समझाया गया है कि मातृभूमि हमें पहचान, संस्कृति और जीवन जीने का सच्चा अर्थ देती है।


विद्यार्थी इस कविता के माध्यम से देशभक्ति, कर्तव्य और मातृभूमि के महत्व को समझते हैं। कविता बच्चों में अपने देश के प्रति प्रेम, त्याग और योगदान की भावना जगाती है।

Chapter 2: गोल

यह पाठ बच्चों की कल्पनाशक्ति और सरल भाषा में लिखी गई रोचक रचना है। इसमें "गोल" शब्द के माध्यम से अनेक वस्तुओं और प्राकृतिक चीज़ों को जोड़ा गया है जैसे – सूरज, चाँद, धरती, फल, गेंद आदि।


पाठ में यह बताया गया है कि "गोल" आकार हमारे चारों ओर हर जगह दिखाई देता है और यह जीवन को सुंदर और रोचक बनाता है। बच्चों को इससे न केवल हिंदी भाषा का अभ्यास होता है बल्कि वे आसपास की वस्तुओं को नए दृष्टिकोण से देखना भी सीखते हैं। यह अध्याय विद्यार्थियों में पर्यवेक्षण क्षमता, शब्दावली और भाषा की पकड़ को मजबूत करता है।

Chapter 3: पहली बूँद 

इस अध्याय में वर्षा ऋतु के आगमन और पहली बूँद का मनोहारी वर्णन किया गया है। बारिश की पहली बूँद से धरती की खुशबू, पेड़ों की ताजगी और वातावरण का परिवर्तन जीवंत हो उठता है।


लेखक ने बड़ी खूबसूरती से दिखाया है कि पहली बूँद कैसे सूखी धरती को जीवन देती है और लोगों के मन में उमंग भर देती है। खेतों में हरियाली, बच्चों की खुशी और किसानों की उम्मीदें इस अध्याय की मुख्य विशेषताएँ हैं। यह पाठ विद्यार्थियों में प्रकृति प्रेम, संवेदनशीलता और भाषा की सुंदर अभिव्यक्ति को विकसित करता है।

Chapter 4: हार की जीत

यह कहानी जीवन में परिश्रम, ईमानदारी और आत्मविश्वास के महत्व को दर्शाती है। इसमें दिखाया गया है कि सच्चे प्रयास और दृढ़ निश्चय से हार को भी जीत में बदला जा सकता है।


कहानी का मुख्य संदेश यह है कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि वह सफलता की ओर बढ़ने का पहला कदम है। यदि हम धैर्य और लगन से काम करें, तो परिस्थितियाँ हमारे पक्ष में बदल सकती हैं।


यह अध्याय विद्यार्थियों को कभी हार न मानने और संघर्ष के बाद मिलने वाली जीत का महत्व सिखाता है।

Chapter 5: रहीम के दोहे

इस अध्याय में अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना के प्रसिद्ध दोहों का संग्रह दिया गया है। रहीम जी ने अपने दोहों में जीवन के गहरे सत्यों, नैतिक मूल्यों और व्यवहारिक ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है।


इन दोहों के माध्यम से विद्यार्थियों को नम्रता, दया, संयम, मित्रता, परिश्रम और विनम्र आचरण का महत्व समझाया गया है। रहीम ने सिखाया है कि इंसान को अपनी अच्छाइयों को छिपाकर रखना चाहिए, जैसे पेड़ फल लगने पर झुक जाते हैं।


यह अध्याय विद्यार्थियों को न केवल भाषा का सौंदर्य सिखाता है, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्य और आचरण की शिक्षा भी देता है।

Chapter 6: मेरी मा

यह पाठ माँ के प्रति गहरे स्नेह, श्रद्धा और आदर को व्यक्त करता है। लेखक ने माँ के त्याग, ममता और निस्वार्थ प्रेम का हृदयस्पर्शी चित्रण किया है। माँ जीवन की पहली गुरु होती है, जो अपने बच्चे को संस्कार, प्रेम और जीवन के सही मूल्य सिखाती है।


इस अध्याय में बताया गया है कि माँ की गोद बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होती है और उसका स्नेह जीवनभर साथ रहता है।


विद्यार्थी इस पाठ से माँ की महत्ता, परिवार में उनके योगदान और मातृप्रेम की अमूल्यता को समझते हैं।

Chapter 6: जलाते चलो

यह कविता प्रेरणादायी संदेश देती है कि हमें अंधकार और बुराइयों को दूर करने के लिए अपने भीतर ज्ञान और सत्य का दीपक जलाना चाहिए। कवि ने दीपक को आशा, साहस और मार्गदर्शन का प्रतीक बताया है।


पाठ में यह समझाया गया है कि जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमें अपने कर्म, विचार और ज्ञान से समाज में प्रकाश फैलाना चाहिए।


यह अध्याय विद्यार्थियों को सत्कर्म करने, सच्चाई पर चलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा देता है।

Chapter 7: सत्रिया और बिहू नृत्य

इस अध्याय में असम के दो प्रमुख नृत्यों, सत्रिया नृत्य और बिहू नृत्य का परिचय दिया गया है।


सत्रिया नृत्य: यह धार्मिक और सांस्कृतिक नृत्य है जिसकी शुरुआत संत महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव ने की थी। इसे मुख्यतः असम के सत्रों (मठों) में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें नृत्य, संगीत और अभिनय का सुंदर समन्वय होता है।


बिहू नृत्य: यह असम का लोकनृत्य है जो फसल कटाई और बिहू उत्सव के समय किया जाता है। इसमें युवक-युवतियाँ ढोल, पेपा और गानों की ताल पर उत्साहपूर्वक नृत्य करते हैं। यह नृत्य असम की जीवनशैली और उमंग का प्रतीक है।


इस अध्याय के माध्यम से विद्यार्थी भारत की विविध संस्कृति, नृत्यकला और परंपराओं से परिचित होते हैं और सांस्कृतिक एकता का संदेश पाते हैं।

Chapter 8: मैया मैं नहिं माखन खायो

यह प्रसिद्ध पद कवि सूरदास द्वारा रचित है। इसमें बालकृष्ण की मनमोहक बाल-लीलाओं का वर्णन है। जब यशोदा माँ ने श्रीकृष्ण पर माखन खाने का आरोप लगाया, तो कृष्ण भोलेपन से इनकार करते हैं और तरह-तरह के बहाने बनाते हैं।


पद में कृष्ण का बालसुलभ चंचल व्यवहार, उनकी नटखट हरकतें और भोली-मीठी बातें बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रित की गई हैं। यह रचना न केवल भक्ति भाव जगाती है, बल्कि बाल्यकाल की मासूमियत और कृष्ण की लीलाओं का रस भी प्रदान करती है।


इस अध्याय से विद्यार्थी भक्ति, मातृस्नेह, और कृष्ण की लीला के साथ-साथ कवि सूरदास की काव्यशैली से भी परिचित होते हैं।

Chapter 9: परीक्षा

यह पाठ विद्यार्थियों के जीवन में परीक्षा के महत्व और उससे जुड़ी मानसिकता को दर्शाता है। इसमें बताया गया है कि परीक्षा केवल अंकों का खेल नहीं है, बल्कि यह हमारे ज्ञान, मेहनत और आत्मविश्वास की जाँच करने का अवसर है।


लेखक ने यह समझाया है कि परीक्षा से डरना नहीं चाहिए, बल्कि नियमित अध्ययन, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ उसका सामना करना चाहिए। कठिनाई के समय धैर्य और लगन ही सफलता की कुंजी होती है।


यह अध्याय विद्यार्थियों को मेहनत, आत्मअनुशासन और सकारात्मक सोच का महत्व सिखाता है।

Chapter 10: चेतक की वीरता

यह अध्याय महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की वीरता और निष्ठा का वर्णन करता है। हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक ने अपने स्वामी महाराणा प्रताप की रक्षा के लिए अद्भुत साहस दिखाया।


गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद चेतक ने प्रताप को शत्रुओं से दूर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया। अंततः अपने प्राण न्यौछावर कर उसने स्वामीभक्ति और बलिदान का अमर उदाहरण प्रस्तुत किया।


इस पाठ से विद्यार्थी वीरता, निष्ठा, साहस और स्वामीभक्ति जैसे जीवन मूल्यों से परिचित होते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा साथी वह है, जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी साथ निभाता है।

Chapter 11: हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान

इस अध्याय में मॉरीशस द्वीप का परिचय दिया गया है, जिसे हिंद महासागर में बसे “छोटे-से हिंदुस्तान” के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाज़, त्योहार और भाषाएँ आज भी बड़े गर्व से अपनाई जाती हैं।


पाठ में बताया गया है कि वहाँ बसे भारतीय मूल के लोग अपनी परंपराओं को जीवित रखते हुए अपनी मातृभूमि भारत से गहरा संबंध बनाए रखते हैं। मॉरीशस का वातावरण, प्राकृतिक सुंदरता और वहाँ की जीवनशैली को भी रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।


यह अध्याय विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान, प्रवासी भारतीयों के योगदान और सांस्कृतिक एकता का महत्व सिखाता है।

Chapter 12: पेड़ की बात

इस अध्याय में पेड़ को मानवीय स्वर देकर उसकी महत्ता और उपयोगिता बताई गई है। पेड़ मनुष्य से संवाद करते हुए कहते हैं कि वे निस्वार्थ भाव से छाया, फल, फूल, लकड़ी, ऑक्सीजन और ताज़ी हवा प्रदान करते हैं।


पेड़ बताते हैं कि वे धरती की सुंदरता बढ़ाते हैं और पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। लेकिन इंसान अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों को काटकर प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहा है।


यह पाठ विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश देता है।

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